Hindi News 18 :- हरियाणा में BJPऔर JJP का गठबंधन टूटने के बाद लगभग एक महीना होने को है। लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के रास्ते अलग होने के क्या सियासी मायने हैं यह तो आने वाले दिनों साफ हो जाएगा, लेकिन JJP विधायकों और नेताओं के चेयरमैन नहीं छोड़ने राज्य की सियासत में दोनों दलों के रिश्ते की खूब चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं आगे क्या हो सकता हैं :-
JJP and BJP News.
हरियाणा में JJP -BJP की दोस्ती का क्या हाल हैं
चंडीगढ़: हरियाणा में BJP के साथ गठबंधन टूटने के बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। मार्च में जब दोनों दल अलग हुए तो सामने आया था कि BJP ने JJP को एक भी सीट नहीं दी तो यह गठबंधन टूटा। राज्य के नए मुख्यमंत्री नायब सैनी 12 अप्रैल को नई सरकार के मुखिया के तौर पर एक महीना पूरा करेंगे, लेकिन इतने दिनों बाद भी JJP के कोटे हरियाणा सरकार में चेयरमैन बने नेताओं के इस्तीफे नहीं हुए हैं। राजनीतिक हलकों में बीजेपी-JJP के बीच के इस रिश्ते को लेकर खूब चर्चा हो रही है। कांग्रेस पहले ही आरोप लगा चुकी है कि BJPविरोधी मतों के बंटवारे और फ्रेंडली फाइट के लिए ऐसा किया गया है।
तीन विधायक हैं अभी चेयरमैन
JJP से जुड़े कुल छह नेता अभी सरकार में हैं। ऐसे हरियाणा की सियासत में इसकी खूब चर्चा हो रही है और सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या गठबंधन टूटने के बाद भी BJPऔर JJP में सियासी दोस्ती बनी हुई है? इस मुद्दे पर दोनों दलों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। JJP को जो नेता अभी सरकार का हिस्सा हैं उनमें जिसमें बरवाला से विधायक जोगी राम सिहाग, शाहाबाद से विधायक रामकरण काला और नरवाना से विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा हाउसिंग बोर्ड, शुगरफेड और हरियाणा खादी का चेयरमैन हैं। JJP नेता पवन खरखौदा ने सोनीपत जिले के खरखौदा से विधानसभा चुनाव लड़ा था। वे हार गए थे। वे अभी हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम हरियाणा के अध्यक्ष हैं। JJP के गुहला विधायक ईश्वर सिंह के बेटे रणधीर सिंह को हरियाणा डेयरी विकास सहकारी संघ हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि JJP नेताओं के चेयरमैन का पद नहीं छोड़ने को कांग्रेस चुनाव में उठा सकती है। जब नई सरकार ने शपथ ग्रहण की थी तो JJP के पांच बागी बताए जा रहे विधायकों में से चार जोगी राम सिहाग, ईश्वर सिंह, देवेंदर सिंह बबली और राम निवास सुरजाखेड़ा शामिल हुए थे। इनमें दो चेयरमैन हैं।
अभी भी हैं सरकार का हिस्सा!
JJP ने राज्य की सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के साथ चंडीगढ़ में भी चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पिछले दिनों पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया था। अब जैसे-जैसे उम्मीदवारों के ऐलान की घड़ी नजदीक आ रही है तब चर्चा यह है कि कांग्रेस की मजबूरी तो समझ में आती है लेकिन JJP ने अभी अपने पत्ते क्यों नहीं खोले हैं? क्या उसे कांग्रेस की सूची का इंतजार है। राज्य में कांग्रेस को नौ सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने हैं। इनमें राेहतक और सोनीपत की सीटें शामिल हैं। जिन सीटों पर कांग्रेस को इस बार उलटफेर की उम्मीद है। हरियाणा में BJPऔर JJP की नेतृत्व सरकार ने कमान संभाली थी और दोनों दलों के बीच एक पावर शेयरिंग हुई थी। दुष्यंत चौटाला को काफी अच्छे विभाग मिले थे। गठबंधन टूटने के बाद डिप्टी सीएम और मंत्री अपने इस्तीफे और तमाम सरकारी सुविधाएं छोड़ चुके हैं लेकिन JJP कोटे से चेयरमैन बने पांच नेताओं के इस्तीफे नहीं हुए हैं।
कितनी है JJP की ताकत
हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने 9 दिसंबर, 2019 को जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बनाई थी। JJP ने 90 सदस्यीय विधानसभा चुनावों में 10 सीटें जीतकर पार्टी के चुनाव चिन्ह के अनुससर सत्ता की चाभी अपने पास रखी थी। 12 मार्च को दोनों दलों का गठबंधन टूट गया था। JJP विधानसभा चुनावों में कुल 1,858,033 वोट मिले थे। जो कि कुल पड़े मतों के 14.80 फीसदी वोट थे। पार्टी ने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा था।