Hindi News 18 :- आचार्य चाणक्य को हर कोई जानता है। यह भारतीय सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के मंत्री और रणनीतिकार थे। उनकी अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो की समृद्धि राजनीति और समाज के कई पहलुओं पर विचार करती है। चाणक्य नीति में बताई गई रणनीति और कूटनीति आज भी बहुत महत्वपूर्ण है चाणक्य का योगदान कई क्षेत्रों में रहा है। चाणक्य नीति में यह भी बताया गया है कि आप अगर समाज में मान सम्मान पाना चाहते हैं तो आपको इन बुरी आदतों का त्याग करना होगा।
क्रोध
अगर आपका व्यक्तित्व क्रोध होने वाला है तो आपको किसी भी बात पर क्रोध आ सकता है जो कि आपको अपमान का सामना कर सकता है। आपको अपने इस व्यवहार पर कंट्रोल करना होगा नहीं तो इससे आप में नकारात्मक विचार आते हैं, जो कि आपके रिश्ते को भी खराब कर सकते हैं करीबी और प्रिया से भी दूर हो सकते हैं।
अहंकार
आपको बता दे की चाणक्य नीति में भी अहंकार को इंसान का सबसे बड़ा शत्रु माना जाता है अगर व्यक्ति अहंकारी होता है तो उसके चरित्र और बोलचाल के हिसाब से दुश्मनी और अपमान का कारण पैदा हो जाती है। इससे व्यक्ति में स्वार्थी और शत्रुतापूर्ण भावनाओं में डूबने की प्रवृत्ति हो सकती है, जिससे समाज और परिवार के सदस्यों के साथ उनके रिश्ते कमजोर हो सकते हैं।
झूठ
झूठा व्यक्ति कभी भी अपनी जिंदगी में सफलता हासिल नहीं कर सकता है इसीलिए यह अच्छी आदत नहीं है। आपको समझ में अपमान भी सहना पड़ सकता है इसीलिए आपको झूठ के सहारे सफलता कभी नहीं मिल सकती है।
लोभ
चाणक्य नीति के अनुसार लोभी व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता है। ऐसे इंसान को दुश्मन माना जाता है और समाज में अपमानित भी किया जाता है। जब इंसान लोग भी हो जाता है तो उसका व्यवहार भी नकारात्मक हो जाता है, क्योंकि वह किसी भी चीज से संतुष्ट नहीं रहता है और हमेशा ही अधिक की तलाश में रहता है।
निंदा
आचार्य चाणक्य यह भी बताते हैं कि जो लोग दूसरों की निंदा या बुराई करते हैं तो ऐसी आदत को तुरंत त्याग देना चाहिए। क्योंकि यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है। आपके लिए हानिकारक हो सकता है। हम दूसरों की निंदा करते हैं तो हम अपनी नकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देते हैं और खुद में दुखी महसूस करते हैं।
द्वेष
शत्रुता एक ऐसी भावना है जिससे व्यक्ति अपमानित महसूस कर सकता है, जिसे चाणक्य ने शत्रु के रूप में दर्ज किया है। चाणक्य नीति में मित्रता को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इसलिए व्यक्ति को कभी भी दोस्तों या किसी अन्य व्यक्ति से द्वेष नहीं रखना चाहिए। अन्यथा आपको समाज में अपमानित होना पड़ेगा और किसी भी समय कोई आपका साथ नहीं देगा, जिसके कारण आपको अकेले रहना पड़ सकता है।